हमको दे दे दूध मलाई
तू विष प्याला पी।
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
ये है कथन पुराना,
भले आधुनिक हुए बहुत पर
बदला नहीं तराना;
मीठा-मीठा गप्प किए जा
कड़ुवा-कड़ुवा छी।
हमें चाहिए चांद सितारे
लेकिन सब घर बैठे,
गरम हवा चल जाय जरा सी
तो बाबू जी ऐंठे ;
कर्ज चढ़े तो चढ़ने दे पर
तू पीता जा घी।
देश बदलना चहिए, बिल्कुल
हो वह स्वर्ग सरीखा,
किंतु न बाबू जी बदलेंगे
अपना तौर-तरीका;
भगतसिंह को जने पड़ोसी
हम पीटें ताली।
(23 दिसंबर, 2016)
तू विष प्याला पी।
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
ये है कथन पुराना,
भले आधुनिक हुए बहुत पर
बदला नहीं तराना;
मीठा-मीठा गप्प किए जा
कड़ुवा-कड़ुवा छी।
हमें चाहिए चांद सितारे
लेकिन सब घर बैठे,
गरम हवा चल जाय जरा सी
तो बाबू जी ऐंठे ;
कर्ज चढ़े तो चढ़ने दे पर
तू पीता जा घी।
देश बदलना चहिए, बिल्कुल
हो वह स्वर्ग सरीखा,
किंतु न बाबू जी बदलेंगे
अपना तौर-तरीका;
भगतसिंह को जने पड़ोसी
हम पीटें ताली।
(23 दिसंबर, 2016)
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