Thursday, March 12, 2015

योगमाया

योगमाया 
आज कंसों से
जरा बचकर दिखाओ !

कृष्ण की
लेकर जगह, उनको
तुम्हीं ने था बचाया,
वास्तव में 
धर्म भगिनी का
बखूबी था निभाया;

भ्रूणहंताओं के 
हाथों से भी
अब तुम पार पाओ ।

जानकी बन
दिवस कितने
कलश में तुमने बिताए,
गांधारी बन
कई जन्मों के 
कर्जे भी चुकाए;

अब जरा 
नौ माह, माँ के 
गर्भ में रहकर बताओ। 

था बहुत आसान
शायद
रक्तबीजों से निपटना,
बाँधकर शिशु पीठ
दोनों हाथ 
अंग्रेजों से लड़ना;

निर्दयी परिवार से
तुम लड़ सको
तो पुनः आओ। 

- ओमप्रकाश तिवारी

जिसका कुर्ता सबसे उज्जर ......

जिसका कुर्ता सबसे उज्जर
पोतो उसे घसीट कर ।
अँगनाई में पानी-पानी
भौजाई ने कीचड़ सानी
बूढ़ा बैठीं मुँह लटकाए
पर बुढ़ऊ में दिखे जवानी
लौंडे मुँह में रंग लगाए
थोड़ी-मोड़ी भंग चढ़ाए
खेल रहे हैं जमकर होली
चढ़े भैंस की पीठ पर ।
लगीं सुबह से अम्मा-काकी
कोई व्यंजन रहे न बाकी
घर वाले खाएं ना खाएं
देनी पड़ती बहुत खुराकी
हफ्ते भर से तैयारी है
गुंझिया-पापड़ की बारी है
आज सुबह से चढ़ी कड़ाही
पूड़ी छने अँगीठ पर ।
काका गाएं सरर कबीरा
सबके मुँह पर पोत अबीरा
दरवाजे पर गुड़ की भेली
उसके बाद पान का बीरा
बने जेठ भी सारे देवर
घूँघट भी दिखलाए तेवर
जब से होली जली रात को
देवी जी के डीठ पर ।
- ओमप्रकाश तिवारी