योगमाया
आज कंसों से
जरा बचकर दिखाओ !
कृष्ण की
लेकर जगह, उनको
तुम्हीं ने था बचाया,
वास्तव में
धर्म भगिनी का
बखूबी था निभाया;
भ्रूणहंताओं के
हाथों से भी
अब तुम पार पाओ ।
जानकी बन
दिवस कितने
कलश में तुमने बिताए,
गांधारी बन
कई जन्मों के
कर्जे भी चुकाए;
अब जरा
नौ माह, माँ के
गर्भ में रहकर बताओ।
था बहुत आसान
शायद
रक्तबीजों से निपटना,
बाँधकर शिशु पीठ
दोनों हाथ
अंग्रेजों से लड़ना;
निर्दयी परिवार से
तुम लड़ सको
तो पुनः आओ।
- ओमप्रकाश तिवारी