डॉलर चढ़ता जाय
रुपैया रोता है।
कई बरस से
हार माँगती घरवाली,
हम टरकाते रहे
गई न कंगाली ;
सोना इकतीस पार
लगाए गोता है ।
चाँदी का रुपया
बाबा ले आते थे,
थोड़ा सा कर खर्च
बचा ले जाते थे ;
आज उसी चांदी का
दिखता टोटा है ।
देखे शेयर दलाल
पेट मोटे वाले,
हैं कौड़ी के तीन
आज लटके ताले ;
बिकने को घर का भी
थाली - लोटा है ।
पगड़ी-लुंगी
जबतक देश संभालेगी,
अर्थव्यवस्था को
दीमक सा चालेगी ;
भली चुप्प जब अपना
सिक्का खोटा है।
( 27 अगस्त, 2013)
रुपैया रोता है।
कई बरस से
हार माँगती घरवाली,
हम टरकाते रहे
गई न कंगाली ;
सोना इकतीस पार
लगाए गोता है ।
चाँदी का रुपया
बाबा ले आते थे,
थोड़ा सा कर खर्च
बचा ले जाते थे ;
आज उसी चांदी का
दिखता टोटा है ।
देखे शेयर दलाल
पेट मोटे वाले,
हैं कौड़ी के तीन
आज लटके ताले ;
बिकने को घर का भी
थाली - लोटा है ।
पगड़ी-लुंगी
जबतक देश संभालेगी,
अर्थव्यवस्था को
दीमक सा चालेगी ;
भली चुप्प जब अपना
सिक्का खोटा है।
( 27 अगस्त, 2013)
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