बिटिया
सुनती नहीं
कहानी परियों की ।
गुड़िया से न प्यार
न उसके दूल्हे से,
न कोई अनुराग है
चकिया-चूल्हे से ;
बाद जनम के
कितने सावन बीत गए,
कभी न देखा
उसे झूलते झूले से ।
करती है
वह बात
उड़नतश्तरियों की ।
पढ़ती है लिखती है
कॉलेज जाती है,
कम्प्यूटर पर
उँगली तेज चलाती है ;
दादी माँ की सभी
हिदायत सुन-सुन कर,
हौले से जा पास
उन्हें समझाती है ।
अर्जी देती
बड़ी-बड़ी
नौकरियों की ।
है उसमें विश्वास
गगन छू लेने का,
खुद होकर मजबूत
बहुत कुछ देने का ;
तूफानों में भी
कश्ती फँस जाए तो,
अपने दम पर
साहिल तक खे लेने का ।
है मोहताज
नहीं बेटी
देहरियों की ।
(28 अगस्त, 2013)
सुनती नहीं
कहानी परियों की ।
गुड़िया से न प्यार
न उसके दूल्हे से,
न कोई अनुराग है
चकिया-चूल्हे से ;
बाद जनम के
कितने सावन बीत गए,
कभी न देखा
उसे झूलते झूले से ।
करती है
वह बात
उड़नतश्तरियों की ।
पढ़ती है लिखती है
कॉलेज जाती है,
कम्प्यूटर पर
उँगली तेज चलाती है ;
दादी माँ की सभी
हिदायत सुन-सुन कर,
हौले से जा पास
उन्हें समझाती है ।
अर्जी देती
बड़ी-बड़ी
नौकरियों की ।
है उसमें विश्वास
गगन छू लेने का,
खुद होकर मजबूत
बहुत कुछ देने का ;
तूफानों में भी
कश्ती फँस जाए तो,
अपने दम पर
साहिल तक खे लेने का ।
है मोहताज
नहीं बेटी
देहरियों की ।
(28 अगस्त, 2013)