मन को मेरे
कुछ कुरेदे
तो लिखूँ ।
भूख औरों की
मुझे
अहसास हो,
कष्ट का उनके
मुझे
आभास हो ;
दूसरों का
दर्द बेधे
तो लिखूँ ।
लोग जीते हैं
जहां
अपने लिए,
कोई जो
औरों की ख़ातिर
भी जिए ;
अपने पल दो पल
भी दे दे
तो लिखूँ ।
हार जाना
तो बहुत
आसान है,
परिस्थितियों
पर विजय का
मान है ;
दुख को
उलटे पाँव खेदे
तो लिखूँ ।
(19 जुलाई, 2013)
कुछ कुरेदे
तो लिखूँ ।
भूख औरों की
मुझे
अहसास हो,
कष्ट का उनके
मुझे
आभास हो ;
दूसरों का
दर्द बेधे
तो लिखूँ ।
लोग जीते हैं
जहां
अपने लिए,
कोई जो
औरों की ख़ातिर
भी जिए ;
अपने पल दो पल
भी दे दे
तो लिखूँ ।
हार जाना
तो बहुत
आसान है,
परिस्थितियों
पर विजय का
मान है ;
दुख को
उलटे पाँव खेदे
तो लिखूँ ।
(19 जुलाई, 2013)
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