दिनकर, वादा करो
सुबह
तुम दोगे अच्छी
रात भयावह गई
बुरे सपनों में डूबी
दिल घबराता रहा
देख हर बात अजूबी
आनेवाली रात
नींद
न टूटे कच्ची
कोर्ट कचहरी पुलिस
गबन अगणित घोटाले
रहे डराते हमें
रात भर साये काले
रवि, ले आना
ढूंढ
कोई तो सूरत सच्ची
चूनर के चिथड़े, चीखें
दहलाने वाली
महिषासुर के आगे
दिखीं कांपती काली
नया सबेरा देख
डरे ना
कोई बच्ची
( 28 दिसंबर, 2012 - नए वर्ष के सूरज से कुछ उम्मीदों के साथ)
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