Wednesday, December 19, 2012

मुट्ठी बांध - जोर से बोल

मुट्ठी बांध
जोर से बोल,
प्यारे अपनी
किस्मत खोल ।

सत्ता सदा
शक्ति की दासी,
दबा दिए जाते
मृदुभाषी ;

बजा जोर से
अपनी ढोल ।

पढ़े - लिखों का
फीका रंग,
छाप अँगूठा
बने दबंग ;

आगे बढ़ तू
करके झोल ।

दिखे जिधर भी
पलड़ा भारी,
झुकने की
कर ले तैयारी ;

संग हवा के
तू भी डोल ।

करता रह तू
सारे पाप,
मुँह में राम
नाम का जाप;

जब तक खुले
न अपनी पोल ।

(19 जुलाई, 2013)

No comments:

Post a Comment