बहू चाहिए अफलातून ।
जैसी दद्दू के घर आई
जिस पर इतराती हैं ताई
कद-काठी में बिल्कुल वैसी
लेकिन ड्योढ़ी हो गोराई ;
जले देखकर सबका खून ।
पढ़ी-लिखी हो एम्मे पास
घर में लावे लाख-पचास
अगर मिले ऊँचे पदवाली
तो दहेज न चहिए खास ;
घूमे अमरीका रंगून ।
सिर पर डाले उल्टा पल्ला
उँगली में हीरे का छल्ला
उसकी फैशन स्टाइल पर
चर्चा करता रहे मुहल्ला ;
चम्मच को बोले स्पून ।
करे नौकरी वह सरकारी
साथ-साथ सब दुनियादारी
बच्चों के संग पति को पाले
घर की भी ले जिम्मेदारी;
रोटी भी सेंके दो जून ।
जैसी दद्दू के घर आई
जिस पर इतराती हैं ताई
कद-काठी में बिल्कुल वैसी
लेकिन ड्योढ़ी हो गोराई ;
जले देखकर सबका खून ।
पढ़ी-लिखी हो एम्मे पास
घर में लावे लाख-पचास
अगर मिले ऊँचे पदवाली
तो दहेज न चहिए खास ;
घूमे अमरीका रंगून ।
सिर पर डाले उल्टा पल्ला
उँगली में हीरे का छल्ला
उसकी फैशन स्टाइल पर
चर्चा करता रहे मुहल्ला ;
चम्मच को बोले स्पून ।
करे नौकरी वह सरकारी
साथ-साथ सब दुनियादारी
बच्चों के संग पति को पाले
घर की भी ले जिम्मेदारी;
रोटी भी सेंके दो जून ।
No comments:
Post a Comment